3775 बीसी सखियों की सफलता और ‘छत्तीसकला’ ब्रांड को मिली पहचान
रायपुर।
छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं ने एक बार फिर अपनी मेहनत, कौशल और उद्यमिता से राज्य का मान बढ़ाया है। राज्य भर की 3775 बीसी सखियों (बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट सखियों) ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आजीविका और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनके प्रयासों से न केवल वित्तीय सेवाएँ गाँव-गाँव तक पहुंची हैं, बल्कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने वाले ‘छत्तीसकला’ ब्रांड को भी नई राष्ट्रीय पहचान मिली है।
बीसी सखियों का यह व्यापक नेटवर्क आज बैंकिंग सुविधा, आर्थिक समावेशन, डिजिटल भुगतान, स्वरोजगार और आजीविका मिशन की रीढ़ बन चुका है। इनके काम का असर इतना गहरा है कि गांवों की आर्थिक गतिविधियों में अभूतपूर्व तेजी आई है।
कौन हैं बीसी सखियाँ?
बीसी सखियाँ वे ग्रामीण महिलाएँ हैं जिन्हें राज्य सरकार और आजीविका मिशन द्वारा बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने और वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
उनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ:
-
ग्रामीणों तक बैंकिंग सेवाएँ पहुंचाना
-
डिजिटल भुगतान की सुविधा देना
-
बैंकिंग दस्तावेज, e-KYC, खाता खोलने जैसे कार्य
-
सरकारी योजनाओं का भुगतान ग्रामीणों तक पहुंचाना
-
स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय परामर्श देना
आज ये महिलाएँ अपने गाँवों की बैंकिंग राजदूत बन चुकी हैं।
3775 बीसी सखियों का मजबूत नेटवर्क
छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में फैली 3775 बीसी सखियों का नेटवर्क:
-
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है
-
बैंकिंग सेवाओं को घर-घर पहुंचा रहा है
-
बुजुर्ग, दिव्यांग और महिलाओं तक प्रत्यक्ष लाभ दे रहा है
-
डिजिटल ट्रांजैक्शन को सामान्य व्यवहार बना रहा है
सालभर में इन बीसी सखियों ने लाखों ग्रामीण परिवारों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुँचाकर वित्तीय समावेशन का नया मॉडल पेश किया है।
‘छत्तीसकला’ ब्रांड: परंपरा और आधुनिकता का संगम
बीसी सखियों की सक्रियता ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (BIHAN) के तहत चल रहे ‘छत्तीसकला’ ब्रांड को भी नई ऊर्जा दी है।
‘छत्तीसकला’ ब्रांड के तहत:
-
हस्तशिल्प
-
हर्बल उत्पाद
-
मिलेट (श्रीधान्य) आधारित खाद्य सामग्री
-
कपड़ा और हैंडलूम
-
बांस और जूट उत्पाद
-
प्राकृतिक जैविक उत्पाद
जैसे दर्जनों श्रेणियों में ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार किए गए स्थानीय उत्पाद बिकते हैं।
बीसी सखियों ने ग्रामीण स्तर पर घर-घर पहुंचकर इन उत्पादों की मांग बढ़ाई और डिजिटल तरीके से बिक्री बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई।
कैसे मिली ‘छत्तीसकला’ को राष्ट्रीय पहचान?
पिछले एक वर्ष में:
-
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग
-
राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी
-
राज्य सरकार की मार्केटिंग सहायता
-
बीसी सखियों द्वारा गांव-स्तर पर प्रमोशन
-
सोशल मीडिया और डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम का उपयोग
इन सभी प्रयासों से ‘छत्तीसकला’ ब्रांड अन्य राज्यों में लोकप्रिय होने लगा।
कई उत्पादों को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में भी बिक्री और पहचान मिली।
सफलता की कहानी: कैसे बदल रहा है जीवन?
बीसी सखियों की सफलता सीधे-सीधे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता से जुड़ी है।
-
हजारों महिलाओं की मासिक आय 10,000 से 20,000 रुपये तक बढ़ी
-
कई परिवारों में पहली बार महिलाओं ने आय लाना शुरू किया
-
सखियों का सामाजिक सम्मान बढ़ा
-
ग्रामीणों का बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा मजबूत हुआ
-
डिजिटल भुगतान गांवों तक पहुंचा
एक बीसी सखी ने कहा:
“हम पहले घर तक सीमित थीं। अब हम गांव की बैंकिंग प्रतिनिधि हैं। लोग हमसे सलाह लेते हैं। हमारी पहचान बनी है।”
डिजिटल ट्रांजैक्शन का नया मॉडल
बीसी सखियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में:
-
AEPS आधारित लेनदेन
-
आधार सत्यापन
-
DBT भुगतान
-
पेंशन वितरण
-
मनरेगा मजदूरी
-
PM Ujjwala, PM Kisan जैसे लाभ
आसानी से लोगों तक पहुँचे हैं।
डिजिटल मोड पर लेनदेन बढ़ने से:
-
बैंक शाखाओं का दबाव कम हुआ
-
बुजुर्गों और महिलाओं की यात्रा लागत घटी
-
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी
सरकार ने भी की सराहना
राज्य सरकार ने रिपोर्ट में बताया कि:
-
बीसी सखियों ने वित्तीय समावेशन के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर नया मानक स्थापित किया है
-
‘छत्तीसकला’ जैसे ग्रामीण ब्रांडों को नई पहचान दिलाने में इनकी अहम भूमिका है
-
ग्रामीण महिलाओं की उद्यमिता को मजबूत करने के लिए और योजनाएँ तैयार की जा रही हैं
सरकार का कहना है कि बीसी सखियाँ आने वाले वर्षों में रूरल डिजिटल इकोनॉमी की धुरी बनेंगी।
वैश्विक मॉडल बनने की क्षमता
विशेषज्ञ कहते हैं कि छत्तीसगढ़ का बीसी सखी मॉडल:
-
महिला सशक्तिकरण
-
वित्तीय समावेशन
-
स्थानीय उत्पादों के बाजार विस्तार
-
ग्रामीण डिजिटल भुगतान
जैसे चार प्रमुख क्षेत्रों में अन्य राज्यों और देशों के लिए भी प्रेरणादायक है।
निष्कर्ष
3775 बीसी सखियों की सफलता न सिर्फ छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हुई है, बल्कि ‘छत्तीसकला’ जैसे स्थानीय ब्रांडों को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने में भी अहम रही है।
ये महिलाएँ आज बैंकिंग, व्यवसाय, डिजिटल कौशल, सामाजिक नेतृत्व—हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल बन चुकी हैं। छत्तीसगढ़ का यह मॉडल बताता है कि यदि सही प्रशिक्षण, तकनीक और समर्थन मिले तो महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं।
