राजधानी में NIT चौपाटी की शिफ्टिंग आज : बिना नोटिस दुकान हटाने पर कांग्रेस का निगम प्रशासन को घेरा

रायपुर।

राजधानी रायपुर के केंद्रीय व्यावसायिक क्षेत्र में स्थित NIT चौपाटी का आज अचानक शिफ्टिंग-ऑपरेशन शुरू हुआ है। परिवहन एवं नगर नियोजन विभाग के निर्देशानुसार इस स्थल पर स्थित दुकानों व ठेलों को हटाकर नया व्यवस्था स्थल बनाने की प्रक्रिया जारी है। लेकिन व्यापारियों को किसी प्रकार का पूर्व नोटिस न दिए जाने और अचानक किए जा रहे कार्य को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम प्रशासन को घेर लिया है।

कांग्रेस प्रतिनिधि व्यापारी हितों की रक्षा करते हुए कह रहे हैं कि इस तरह की कार्रवाई सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। उन्होंने नगर निगम तथा प्रशासन से तुरन्त संवाद स्थापित कर उचित मुआवजे व पुनर्व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।

क्या है NIT चौपाटी शिफ्टिंग का मामला?

NIT चौपाटी – रायपुर में व्यस्ततम व्यावसायिक एवं शहरी बाजार क्षेत्र है, जहाँ कई स्थानीय दुकानें, फूड ठेले, चाय-व्यापारी, पकौड़ी-चाट वाले आदि सक्रिय हैं। नगर निगम ने निर्णय लिया है कि इस चौपाटी को अगले चरण के शहरी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत पुनर्गठन किया जाएगा। इसमें सड़क चौड़ाईकरण, ट्रैफिक कंट्रोल, सड़क किनारे पार्किंग व्यवस्था एवं सुरक्षित व् व्यवस्थित फुटपाथ व्यवस्था शामिल हैं।

आज सुबह अचानक नगर निगम के अभियानों के अंतर्गत बहुत-से ठेले हटाए गए। दुकानदारों का कहना है कि “कोई नोटिस नहीं आया, सुबह-सुबह आकर हमारी दुकानें उठा ली गईं, हम तैयार नहीं थे”। इससे व्यापारियों में असमंजस व Protest की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

कांग्रेस ने किस बिंदु पर निगम को घेरा?

कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने निम्न-प्रमुख मुद्दों को उठाया है:

  • बिना पूर्व सूचना व समय दिए दुकानों का हटाया जाना अन्यायपूर्ण है।

  • स्थानीय व्यापारियों के livelihoods पर प्रतिकूल प्रभाव।

  • मुआवजे या वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था पर चर्चा की कमी।

  • सार्वजनिक प्रक्रिया व नियोजन में पारदर्शिता न होना।

  • नगर निगम प्रशासन का अचानक कार्रवाई करना, लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं।

कांग्रेस नेता ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा,

“यह प्रशासनिक विधि नहीं, यह व्यापारी व नागरिकों के जीवन-धाराओं को प्रभावित करने वाली कार्रवाई है। हम निगम को चेतावनी देते हैं – तुरंत इस प्रक्रिया को रोकें और दुकानदारों-व् व्यापारियों की स्थिति पर गंभीरता से विचार करें।”

व्यापारियों की प्रतिक्रिया और कहानियाँ

कुछ स्थानीय व्यापारियों ने अपना अनुभव साझा किया:

  • राकेश (ठेला संचालक) : “मैं पिछले पंद्रह साल से वही बैग व् कपड़े बेच रहा था। आज सुबह आयो और कहो कि हट जाओ। मैं आज क्या करूँ?”

  • सीमा (चाय / नाश्ता विक्रेता) : “मुझे अपने लाइसेंस भी दिखाना था, लेकिन अचानक हटाया गया – खाने-पीने की दुकान को भी वैकल्पिक स्थान नहीं बताया गया।”

उनकी मांगें स्पष्ट हैं: समय दें, पूर्व सूचना दें, मुआवजा या वैकल्पिक स्थान सुनिश्चित करें। व्यापारी समूह ने मिलकर आंदोलन की संभावना जताई है।

निगम व प्रशासन का पक्ष

नगर निगम का कहना है कि यह कदम शहरी विकास के हाई-प्रायॉरिटी कार्यक्रम के तहत है। उनके बिंदु इस प्रकार हैं:

  • NIT चौपाटी मार्ग congested एवं ट्रैफिक कंट्रोल समस्या उत्पन्न कर रहा था।

  • चौपाटी के पुनर्गठन से वाहनों व पैदल यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।

  • पुनर्व्यवस्था के अंतर्गत नए ठेले व व्यवसायियों को वैकल्पिक स्थान दिए जाएंगे।

  • प्रक्रिया में समय-सीमा व मुआवजे की व्यवस्था पर शीघ्र कार्यवाही होगी।

तथापि, प्रशासन स्वीकार कर रहा है कि “पूर्व सूचना की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई” और व्यापारियों को असुविधा हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि शाम तक व्यापारियों-की एक बैठक संपन्न कर समाधान प्रस्तावित किया जाएगा।

शहरी विकास तथा सामाजिक प्रभाव

इस तरह की कार्रवाई का शहर पर व्यापक असर हो सकता है:

  • ठेले व फुटपाथ व्यापारियों-के आर्थिक हालात प्रभावित होंगे।

  • यदि उचित वैकल्पिक व्यवस्था नहीं मिली, तो बेरोजगारी व सामाजिक तनाव बढ़ सकते हैं।

  • शहर के व्यावसायिक स्वरूप व नगर नियोजन में सुधार की संभावना है, लेकिन वह न्यायपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टि से लागू होना चाहिए।

शहरी नीतियों के विशेषज्ञ इस तरह टिप्पणी कर रहे हैं कि

“शहरी सुधार तभी सफल होंगे जब स्थानीय हितधारकों-की भागीदारी व पूर्व सूचना सुनिश्चित हो। जब कार्रवाई अचानक व सूचना-विहीन हो जाए, तो परिणाम विवाद व विरोध बन जाते हैं।”

आगे की दिशा-निर्देश

वर्तमान परिस्थिति के लिए सुझाव हैं:

  • नगर निगम को तुरंत व्यापारियों-से संवाद शुरू करना चाहिए।

  • वैकल्पिक स्थानों-की सूची प्रस्तुत कर समय-सीमा देना चाहिए।

  • व्यापारियों-के मुआवजे और शिफ्टिंग खर्च का स्पष्टीकरण देना चाहिए।

  • शहरी सुधार कार्यक्रम को चरणबद्ध एवं निगरानी योग्य बनाना चाहिए।

  • भविष्य-में ऐसे कार्यक्रमों-के लिए नोटिस-पीरियड, प्रभावित हितधारकों-की बैठकग्राउंड स्तर पर संवाद अनिवार्य करना चाहिए।

निष्कर्ष

राजधानी रायपुर में NIT चौपाटी की शिफ्टिंग आज शुरू होना एक महत्वपूर्ण लेकिन संवेदनशील शहरी निर्णय है। इस प्रकार की कार्रवाई में न्याय, पारदर्शिता और संवाद अनिवार्य हैं। यदि प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ रह गयी हैं, तो समय रहते सुधारना प्रशासन व शासन का दायित्व है।

कांग्रेस द्वारा निगम प्रशासन पर घेराव दिखाता है कि शहर के विकास-प्रकल्प सामाजिक और आर्थिक हितधारकों को प्रभावित करते हैं। एक संतुलित दृष्टिकोण से कार्रवाई होना आवश्यक है—जिसमें शहर का स्वरूप सुधरे और व्यापारियों-की आजीविका सुरक्षित रहे।

आगे कुछ घंटे व् दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि निगम प्रशासन कैसे व्यापारी वर्ग के साथ मिलकर समस्या का समाधान करेगा।