हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: मेडिकल एडमिशन नियम रद्द, संस्थागत प्राथमिकता के स्थान पर मेरिट को मिली वरीयता
रायपुर।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य में मेडिकल पोस्ट-ग्रेजुएट (PG) कोर्स के लिए जारी एडमिशन रूल्स, 2025 के दो महत्वपूर्ण प्रावधानों—नियम 11(a) और 11(b)—को रद्द कर दिया है। इन दोनों नियमों में राज्य सरकार ने ‘इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस’ यानी उसी मेडिकल कॉलेज से पढ़े छात्रों को PG सीटों में प्राथमिकता देने का प्रावधान रखा था। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यह प्रावधान संविधान और मेडिकल शिक्षा की मूल भावना के अनुरूप नहीं है, क्योंकि उच्च शिक्षा में अवसरों का आधार केवल और केवल ‘मेरिट’ ही होना चाहिए।
यह फैसला डॉ. समृद्धि दुबे द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनाया गया, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि संस्थागत प्राथमिकता देने से काबिल छात्रों के अधिकार प्रभावित होते हैं और यह राष्ट्रीय स्तर पर लागू मेडिकल काउंसिल तथा NMC के दिशा-निर्देशों के विपरीत है।
क्या था मामला?
राज्य सरकार ने वर्ष 2025 के लिए मेडिकल PG एडमिशन नियम जारी किए थे। इन नियमों में कहा गया था कि जो छात्र MBBS या इंटर्नशिप उसी कॉलेज से करते हैं, उन्हें PG प्रवेश में विशेष वरीयता मिलेगी। इसका तर्क यह था कि संस्थागत निरंतरता से छात्रों को कॉलेज की शैक्षणिक प्रणाली के अनुरूप बेहतर अवसर मिलते हैं और अस्पताल में उनकी निरंतर सेवाओं का लाभ भी संस्थान को मिलता है।
लेकिन याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह प्रावधान न केवल प्रतिभाशाली छात्रों के अवसरों को कम करता है, बल्कि राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश प्रणाली के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। देशभर में NEET-PG परीक्षा मेरिट आधारित प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है और किसी भी प्रकार की अतिरिक्त प्राथमिकता परीक्षा की निष्पक्षता को प्रभावित करेगी।
कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि:
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उच्च शिक्षा व विशेषकर मेडिकल शिक्षा में मेरिट सर्वोच्च मानक है।
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संस्थागत प्राथमिकता देना निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत का उल्लंघन है।
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NEET-PG जैसी राष्ट्रीय परीक्षा का उद्देश्य ही राज्यों व कॉलेजों में एक समान मेरिट-आधारित चयन सुनिश्चित करना है।
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कोई भी ऐसा प्रावधान जो मेरिट से हटकर किसी अन्य आधार को प्राथमिकता देता है, वह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन माना जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन छात्रों ने संस्थागत प्राथमिकता की उम्मीद से आवेदन किया था, उनके हितों का ध्यान रखते हुए राज्य सरकार को आवश्यक संशोधन और नई गाइडलाइन समय पर जारी करनी होगी।
फैसले का प्रभाव: किसपर होगा असर?
इस फैसले का सीधा असर हजारों मेडिकल छात्रों पर पड़ेगा जो हर साल PG प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं। विशेष रूप से:
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वे छात्र जिन्हें संस्थागत प्राथमिकता मिलती, अब केवल मेरिट के आधार पर प्रतिस्पर्धा करेंगे।
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वे छात्र जिन्होंने MBBS दूसरे कॉलेज से किया है और योग्यता में बेहतर हैं, अब अधिक न्यायसंगत अवसर प्राप्त करेंगे।
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काउंसलिंग प्रक्रिया में भी संशोधन जरूरी होगा, क्योंकि अब सीटों का आवंटन पूरी तरह NEET-PG मेरिट पर आधारित होगा।
इसके अलावा, हाई कोर्ट का यह निर्णय आने वाले वर्षों में मेडिकल शिक्षा नियमों के डिज़ाइन और नीति निर्माण पर भी प्रभाव डाल सकता है। राज्य सरकार को ऐसे नियमों से बचना होगा जो केंद्र द्वारा निर्धारित मानकों और कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत हों।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य शिक्षा विशेषज्ञों ने इस फैसले को स्वागत योग्य बताया है। उनका कहना है कि:
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संस्थागत प्राथमिकता से कई बार प्रतिभाशाली छात्रों के अवसर सीमित हो जाते हैं।
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मेडिकल PG सीटें बेहद सीमित हैं, इसलिए इनका आवंटन पूरी तरह योग्यता पर आधारित होना चाहिए।
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यह फैसला प्रवेश प्रणाली में पारदर्शिता और समान अवसर को मजबूत करेगा।
दूसरी ओर, कुछ कॉलेज प्रशासकों ने कहा कि संस्थागत प्राथमिकता हटने से अस्पतालों में सेवाओं की निरंतरता पर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि संस्थान को अपने पुराने छात्रों से मिलने वाला अनुभव और सेवा लाभ कम हो जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह चिंताएं प्रबंधन द्वारा बेहतर योजना बनाकर दूर की जा सकती हैं।
सरकार की अगली कार्रवाई क्या होगी?
फैसले के बाद राज्य सरकार अब नए मेडिकल PG एडमिशन नियम तैयार करेगी। इसमें:
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मेरिट आधारित व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाएगी।
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काउंसलिंग प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
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छात्रों को स्पष्ट गाइडलाइन समय पर उपलब्ध कराई जाएगी।
संभावना है कि आने वाले कुछ दिनों में स्वास्थ्य विभाग इस संबंध में नई अधिसूचना जारी करेगा।
याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया
डॉ. समृद्धि दुबे ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह उन सभी छात्रों की जीत है जो अपनी मेहनत और योग्यता के आधार पर आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्राथमिकता जैसे प्रावधान प्रतिभा को दबाते हैं और शिक्षा व्यवस्था को असंतुलित बनाते हैं।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह निर्णय मेडिकल PG प्रवेश प्रणाली में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह न केवल छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता कायम रहे। अब प्रवेश का मार्ग केवल मेरिट ही तय करेगा, और यही एक स्वस्थ और निष्पक्ष शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद है।
छात्रों और अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे स्वास्थ्य विभाग की नई गाइडलाइन और काउंसलिंग शेड्यूल पर नजर रखें।
