COP30 में आदिवासी समूहों की आवाज़ तेज़: मुद्दों पर ध्यान की मांग, ब्राज़ील में क्लाइमेट समिट के प्रवेश मार्ग में व्यवधान पैदा
ब्राज़ील में आयोजित यूएन क्लाइमेट टॉक्स (COP30) में आज आदिवासी समूहों ने अपने अधिकारों और पर्यावरण-सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर हाई-इंटेंसिटी डिमांड रेज़ किया। स्थानीय और वैश्विक आदिवासी प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि उनके समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, भूमि अधिकार, और सतत विकास से जुड़े मसले लगातार अंडर-रिप्रेज़ेंटेड रहे हैं।
इन समूहों की सामूहिक कार्रवाई के चलते सम्मेलन स्थल के प्रवेश मार्ग पर अस्थायी व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिससे डेली सेशन शेड्यूल में कुछ समय के लिए फंक्शनल स्लोडाउन दर्ज हुआ। आयोजकों ने सुरक्षा एजेंसियों और वार्ता प्रतिनिधियों के सहयोग से स्थिति को कंट्रोल में लाया।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें—
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पेरिस समझौते के तहत इंडिजिनस-लेड क्लाइमेट एडाप्टेशन फंडिंग,
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भूमि और जंगल संरक्षण के लिए अनिवार्य नीति-स्तरीय गारंटी,
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तथा जलवायु निर्णय प्रक्रिया में प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व
से संबंधित हैं।
क्लाइमेट विश्लेषकों का मानना है कि COP30 में आदिवासी समूहों की यह स्ट्रॉन्ग विजिबिलिटी अंतरराष्ट्रीय जलवायु नीति में एक नई बातचीत को अनलॉक कर सकती है, क्योंकि दुनिया भर में क्लाइमेट-इम्पैक्टेड लैंडस्केप्स में आदिवासी समुदाय अग्रिम पंक्ति पर खड़े हैं।
ब्राज़ीलियन अधिकारियों ने आश्वस्त किया है कि सभी आवाजों को “इक्वल प्लेटफॉर्म” दिया जाएगा और वार्ता के अगले चरणों में ऐसे मुद्दों को अधिक संरचित तरीके से शामिल किया जाएगा।
