अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर बढ़ी निगरानी: ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहरी
दिल्ली कार विस्फोट मामले की तेजी से आगे बढ़ती जांच के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक प्रमुख फोकस ज़ोन बनकर उभरी है। कई संदिग्धों के एक्टिव कनेक्शन इस संस्थान से जुड़े पाए जाने के बाद राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने विश्वविद्यालय को फर्जी मान्यता का दावा करने पर Show Cause Notice जारी किया है। यह संकेत देता है कि शिक्षा संस्थानों की विश्वसनीयता और सुरक्षा-संरेखण पर अब केंद्र सरकार और राष्ट्रीय एजेंसियाँ और भी कड़े पैमानों पर नजर रख रही हैं।
🔍 विस्फोट फंडिंग की दिशा में बड़ा खुलासा
जांच एजेंसियों ने वित्तीय लेन-देन की गहन समीक्षा में एक 20 लाख रुपये के संदिग्ध फंड ट्रांसफर की पहचान की है। प्राथमिक विश्लेषण से यह संकेत मिल रहा है कि यह राशि संभावित रूप से आतंकी गतिविधियों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट और ऑपरेशनल फंडिंग के रूप में उपयोग की गई हो सकती है।
इसके समानांतर, जैश-ए-मोहम्मद से संभावित कनेक्शन की भी जांच चल रही है, जिससे पूरे केस का सुरक्षा कोण और अधिक जटिल और उच्च-जोखिम वाला हो गया है।
🎓 ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकवाद की नई चिंता
इस प्रकरण की सबसे गंभीर परत वह है जिसमें उच्च शिक्षित डॉक्टर, इंजीनियर और तकनीकी पृष्ठभूमि के लोग एक्टिव आतंकी नेटवर्क का हिस्सा पाए जा रहे हैं।
इसे सुरक्षा तंत्र ने “White Collar Terror Architecture” के उभरते खतरे के रूप में चिन्हित किया है—जहाँ शिक्षित पेशेवर अपनी विशेषज्ञता का उपयोग high-tech radical modules को सपोर्ट करने में कर रहे हैं।
⚠️ राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों का फोकस
एजेंसियाँ अब इन बिंदुओं पर एकीकृत जांच फ्रेमवर्क में कार्य कर रही हैं:
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यूनिवर्सिटी और संदिग्धों के बीच शैक्षणिक व वित्तीय लिंक
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विदेशी फंडिंग और डिजिटल पेमेंट ट्रेल
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संगठनात्मक सपोर्ट सिस्टम और ऑन-कैंपस इकोसिस्टम
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तुर्की आधारित मॉड्यूल के साथ कोऑर्डिनेशन लेयर्स
राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र इसे भारत में उभरते सॉफिस्टिकेटेड, मल्टी-लेयर्ड टेरर मॉड्यूल का संकेत मान रहा है, जिसमें शैक्षणिक संस्थान संभावित रूप से फ्रंट-फेस के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं।
