रायपुर के उद्योगपति पर विस्थापितों की जमीन हड़पने का आरोप — विधायक मंडावी बोले, “5 परिवारों की जमीन धोखे से अपने नाम की, जांच होनी चाहिए”

📰 रायपुर में नया जमीन घोटाला उजागर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक उद्योगपति पर गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय विधायक मंडावी ने आरोप लगाया है कि उद्योगपति ने विस्थापित परिवारों की जमीन धोखे से अपने नाम कर ली है
बताया जा रहा है कि मामला शहर के बाहरी इलाके का है, जहां पांच परिवारों की जमीन को एक निजी कंपनी के नाम पर दर्ज कर लिया गया।


🧾 विधायक मंडावी ने की खुली शिकायत

विधायक मंडावी ने इस पूरे प्रकरण की जानकारी मीडिया को देते हुए कहा —

“पांच गरीब परिवारों को यह कहकर धोखा दिया गया कि उनकी जमीन विकास परियोजना के लिए ली जा रही है, लेकिन बाद में पता चला कि दस्तावेज उद्योगपति के नाम दर्ज हो चुके हैं।”

उन्होंने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।


🏠 विस्थापित परिवारों का आरोप — झूठे वादे, कोई मुआवजा नहीं

पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें उद्योगपति के प्रतिनिधियों ने यह आश्वासन दिया था कि उन्हें उचित मुआवजा और रोजगार दिया जाएगा।
हालांकि, आज तक न तो मुआवजा मिला, न ही कोई लिखित अनुबंध।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह जमीन पहले सरकारी अधिग्रहण के दायरे में थी, लेकिन बाद में निजी कंपनी के कब्जे में चली गई।


🧩 प्रशासनिक चुप्पी से बढ़ा मामला

अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से कहा कि “जमीन से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है और रिपोर्ट जल्द तैयार होगी।”
हालांकि विपक्षी दलों ने प्रशासन पर “राजनीतिक दबाव में काम करने” का आरोप लगाया है।


⚖️ विधायक मंडावी का तीखा बयान

विधायक मंडावी ने कहा —

“जब गरीबों की जमीन ताकतवर लोग छीन लेते हैं, तो सरकार की जिम्मेदारी है कि न्याय दिलाए। यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय का उदाहरण है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे विधानसभा में यह मुद्दा उठाएंगे।


💬 उद्योगपति की सफाई

आरोपों के बीच उद्योगपति ने कहा है कि उन्होंने सभी जमीनें “कानूनी प्रक्रिया के तहत” खरीदी हैं और उनके पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि,

“मैंने किसी को धोखा नहीं दिया। सभी सौदे वैध हैं। अगर जांच होगी, तो सच्चाई सामने आ जाएगी।”


🚨 राजनीति में बढ़ा तनाव

इस घटना ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियाँ इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं।
विपक्ष ने कहा कि “सरकार अपने समर्थकों को बचा रही है,” वहीं कांग्रेस नेताओं ने कहा कि “सरकार पारदर्शिता से जांच कराएगी।”


📅 जांच के आदेश की संभावना

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी है।
संभावना है कि अगले 48 घंटों में राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम जांच शुरू कर सकती है।


🌿 निष्कर्ष

रायपुर का यह मामला न केवल जमीन विवाद का मुद्दा है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर गरीबों के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी।
अब सबकी निगाहें प्रशासन और जांच एजेंसियों पर हैं — क्या सच सामने आएगा या मामला राजनीतिक दबाव में दब जाएगा?