छत्तीसगढ़ गठन: अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनने की 8 दिलचस्प कहानियाँ
 
                शपथ-ग्रहण में रेणु जोगी को रोका गया था, दिग्विजय से हुई थी बहस, और सोनिया गांधी ने लगाई थी क्लास
🟩 1. राज्य गठन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य बना। मध्य प्रदेश से अलग होकर यह नया राज्य आदिवासी बहुल क्षेत्र, समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों और अलग सांस्कृतिक पहचान के कारण वर्षों की मांग का परिणाम था। राज्य बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल था — पहला मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
और इसी सवाल से जुड़ी है अजीत जोगी की कहानी।
🟦 2. कलेक्टर से मुख्यमंत्री तक का सफर
अजीत जोगी ने अपने करियर की शुरुआत एक आईएएस अधिकारी के रूप में की थी। वे रायपुर सहित कई जिलों में कलेक्टर रहे। 1986 में राजनीति में आए और जल्द ही कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का भरोसा जीत लिया। उनकी प्रशासनिक समझ और लोकप्रियता ने उन्हें नए राज्य का पहला मुख्यमंत्री बना दिया।
🟧 3. शपथ-ग्रहण में रेणु जोगी को रोक दिया गया था
राज्य गठन के दिन जब रायपुर में शपथ-ग्रहण समारोह चल रहा था, तो एक चौंकाने वाली घटना हुई। अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी को अंदर जाने से रोक दिया गया था। कहा जाता है कि उनके नाम की एंट्री गेट पास लिस्ट में नहीं थी। यह बात बाद में काफी चर्चा में रही और समारोह का सबसे भावनात्मक पल बन गई।
🟥 4. दिग्विजय सिंह से टकराव
मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी के बीच नए राज्य के गठन और नेतृत्व को लेकर कई बार मतभेद हुए। कहा जाता है कि संसाधन वितरण और प्रशासनिक ढांचे को लेकर दोनों में तीखी बहसें भी हुईं। यह राजनीतिक टकराव छत्तीसगढ़ की शुरुआती राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
🟨 5. सोनिया गांधी ने लगाई थी क्लास
जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजीत जोगी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना, तब उन्होंने साफ शब्दों में कहा —
“यह राज्य हमारे लिए सिर्फ नया नक्शा नहीं, बल्कि नया वचन है।”
उन्होंने जोगी को निर्देश दिए कि राज्य की प्राथमिकता हो — आदिवासी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और पारदर्शी प्रशासन। कहा जाता है कि सोनिया ने उनके कामकाज को लेकर शुरुआती दिनों में कई बार सख्त फीडबैक भी दिया।
🟪 6. पहली सरकार की चुनौतियाँ
छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रशासनिक ढांचा, बजट विभाजन, नई राजधानी की योजना और सरकारी कर्मचारियों का पुनर्विन्यास — यह सब जोगी सरकार के सामने बड़ी चुनौतियाँ थीं। उन्होंने सीमित संसाधनों में भी नई नीतियों की शुरुआत की और छत्तीसगढ़ की पहचान बनाने की दिशा में काम किया।
🟫 7. राजनीति में उतार-चढ़ाव
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और रमन सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद अजीत जोगी ने नया राजनीतिक मोर्चा खोलकर अपनी अलग पार्टी बनाई। उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष, उतार-चढ़ाव और साहस का प्रतीक बना रहा।
⬛ 8. आज भी याद किए जाते हैं जोगी
अजीत जोगी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी भूमिका छत्तीसगढ़ के इतिहास में हमेशा याद की जाएगी। वे इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि “नए छत्तीसगढ़” की सोच के पहले निर्माता थे।
आज जब राज्य अपनी नई उपलब्धियों पर गर्व कर रहा है, तो जोगी की वह ऐतिहासिक यात्रा सबके मन में ताज़ा हो उठती है।
🌿 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का गठन सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं था, यह एक नई पहचान की शुरुआत थी।
अजीत जोगी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब इतिहास बनता है, तो उसके पीछे संघर्ष, समझदारी और राजनीति की गहराई छिपी होती है।
उनका नाम हमेशा छत्तीसगढ़ के पहले अध्याय में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

