सुप्रीम कोर्ट ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ मामलों पर दिखाई सख्ती, CBI से मांगी विस्तृत जांच योजना
नई दिल्ली, अक्टूबर 2025
भारत में तेजी से बढ़ रहे “डिजिटल अरेस्ट” यानी मोबाइल या साइबर दुरुपयोग से जुड़े मामलों पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इस विषय पर एक विस्तृत जांच योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) को आदेश दिया है कि अब तक दर्ज किए गए ऐसे सभी एफआईआर (FIR) की जानकारी अदालत को सौंपी जाए।
न्यायालय का कहना है कि हाल के महीनों में देशभर में “डिजिटल अरेस्ट” के मामलों में खतरनाक तेजी देखी गई है, जिसमें कई निर्दोष नागरिक ऑनलाइन ठगी या साइबर अपराधों का शिकार बने हैं। इनमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जहां लोगों के मोबाइल या बैंक अकाउंट के दुरुपयोग के चलते उन्हें बिना उचित प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि इस तरह की घटनाएं नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हैं और देश के साइबर कानूनों की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं। अदालत ने कहा कि इस पूरे मामले में एक राष्ट्रीय स्तर की जांच और समन्वित नीति की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे दुरुपयोग को रोका जा सके।
CBI को दो सप्ताह के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने और केंद्र सरकार को सुझाव देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, अदालत ने केंद्र से यह भी पूछा है कि साइबर अपराधों और डिजिटल गिरफ्तारी जैसे मामलों की निगरानी के लिए अब तक कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाएं भारत में साइबर सुरक्षा और कानूनी ढांचे की कमजोरियों की ओर इशारा करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से उम्मीद है कि इन मामलों पर सख्त और पारदर्शी कार्रवाई हो सकेगी।
