दीवाली पूजन विधि : माँ लक्ष्मी का स्वागत, समृद्धि का पर्व

रायपुर। दीपों का त्योहार दीवाली न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि यह धन, समृद्धि और शुभता का पर्व भी है। मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी, भगवान विष्णु और गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।

पूजन का शुभ मुहूर्त   :- इस वर्ष दीवाली के दिन अमावस्या तिथि पर संध्या के समय प्रदोष काल में माँ लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना गया है। शाम के समय जब अंधेरा फैलने लगे और दीप जलाने का समय हो, उसी समय पूजन आरंभ करना उत्तम होता है।

पूजन की तैयारी

  1. घर की पूरी सफाई करें और मुख्य द्वार पर रंगोली व दीपक सजाएँ।

  2. पूजन स्थल पर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें।

  3. कलश में जल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें।

  4. धूप, दीप, पुष्प, चावल, रोली, मिठाई और नारियल रखें।

पूजन विधि

  1. सबसे पहले गणेश जी की आराधना करें — बाधा निवारक के रूप में।

  2. इसके बाद माँ लक्ष्मी का आवाहन करें — “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः।”

  3. धूप, दीप, पुष्प और मिठाई अर्पित करें।

  4. लक्ष्मी-गणेश की आरती करें और परिवार सहित दीपक जलाकर पूरे घर में घूमें।

  5. व्यापारियों द्वारा बही-खाता पूजन और नए खाते की शुरुआत भी इसी दिन की जाती है।


🌙 दीवाली का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे। तभी से दीप जलाने की परंपरा आरंभ हुई।
यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।