नई दिल्ली, 13 अक्टूबर 2025
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम के एक बयान ने देश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। चिदंबरम ने अपने हालिया भाषण में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को लेकर कहा कि “यह कार्रवाई उस दौर की एक बड़ी राजनीतिक भूल थी, जिसने पंजाब और देश की सामाजिक एकता को गहरी चोट पहुंचाई।” उनके इस बयान के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है।
पी. चिदंबरम का बयान क्या था?
एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में बोलते हुए चिदंबरम ने कहा कि
“ऑपरेशन ब्लू स्टार ने देश में धार्मिक विभाजन की भावना को गहरा किया। उस समय एक बेहतर राजनीतिक समाधान संभव था, लेकिन सत्ता की हड़बड़ी में एक ऐसी सैन्य कार्रवाई की गई, जिसने हजारों निर्दोष लोगों को आघात पहुँचाया।”
उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को “छिपाने या महिमामंडित करने” के बजाय “सीखने और सुधारने” की जरूरत है।
बीजेपी का पलटवार
चिदंबरम के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि “कांग्रेस हमेशा आतंकवाद और अलगाववाद के साथ नरमी बरतती रही है। ऑपरेशन ब्लू स्टार उस समय की राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता थी, और इसे ‘राजनीतिक गलती’ कहना देश के शहीद सैनिकों का अपमान है।”
भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि कांग्रेस अपने ही इतिहास से भाग नहीं सकती — “यह वही पार्टी है जिसने उस ऑपरेशन का आदेश दिया था, और अब वही उसे गलती बता रही है।”
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस की ओर से चिदंबरम के बयान का बचाव करते हुए पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि, “पी. चिदंबरम ने इतिहास के संदर्भ में अपनी व्यक्तिगत राय रखी है। उन्होंने कहीं भी भारतीय सेना या सैनिकों का अपमान नहीं किया। उनका मकसद केवल यह बताना था कि राजनीतिक संवाद की कमी से देश को भारी नुकसान हुआ।”
पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस “राष्ट्रीय एकता और सशस्त्र बलों के सम्मान” के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर किया गया था। इसका उद्देश्य अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे खालिस्तानी आतंकियों को बाहर निकालना था। भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन पूरा किया, लेकिन इस दौरान कई निर्दोष लोग और सैनिक मारे गए। इसी ऑपरेशन के बाद अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा कर दी गई, जिससे देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिदंबरम का बयान कांग्रेस के भीतर ऐतिहासिक घटनाओं पर नए विमर्श की ओर इशारा करता है। वहीं बीजेपी इस बयान को “देशविरोधी सोच” बताकर आगामी विधानसभा चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है। कई विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस इस बयान से बचाव में जाएगी, जबकि बीजेपी इसे अपने राष्ट्रवाद बनाम उदारवाद की राजनीति में भुनाने की कोशिश करेगी।
निष्कर्ष
पी. चिदंबरम का यह बयान एक बार फिर 1984 की घटनाओं और कांग्रेस की उस दौर की नीतियों को केंद्र में ले आया है। जहां कांग्रेस इसे आत्ममंथन की दृष्टि से देख रही है, वहीं भाजपा इसे “देश की सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति” करार दे रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद सत्र में यह मुद्दा किस तरह उठता है और कांग्रेस नेतृत्व चिदंबरम के बयान पर क्या आधिकारिक रुख अपनाता है।