गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी लाइन को मिली मंजूरी
छत्तीसगढ़ की “डबल इंजन” सरकार में विकास की नई राह
प्रस्तावना
सरकारी मशीनरी और रेलवे विभाग में एक बड़ा कदम उठाया गया है — केंद्र सरकार ने गोंदिया (महाराष्ट्र) से डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) रेल मार्ग पर चौथी लाइन बिछाने की मंजूरी दे दी है। इस निर्णय को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अरविंद कुमार साय ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का धन्यवाद कहा है। उन्होंने इसे “डबल इंजन सरकार में विकास की पटरी पर छत्तीसगढ़” कह कर जोड़ते हुए प्रदेश की प्रगति का प्रतीक बताया है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह परियोजना लगभग 84 किलोमीटर (km) लंबी होगी, और इस पर अनुमानित लागत लगभग ₹2,223 करोड़ आंकी गई है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे — इस निर्णय की पृष्ठभूमि, लाभ, चुनौतियाँ और आगे की राह।
यह प्रस्ताव कैसे सामने आया — पृष्ठभूमि
मल्टी-ट्रैकिंग (मल्टी-लाइन) की ज़रूरत
रेलवे नेटवर्क पर यात्री और माल दोनों प्रकार के ट्रैफिक लगातार बढ़ रहे हैं। कई स्थानों पर लाइन अधिक व्यस्त हो जाती है, जिससे ट्रेनों की रफ़्तार प्रभावित होती है और समय पर चलने में कठिनाई होती है। ऐसे में तीसरी और चौथी लाइन जोड़ना “मल्टी-ट्रैकिंग” कहलाता है — यह ट्रैफ़िक दबाव को कम करने, समयपालन सुधारने और परिचालन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
गोंदिया-डोंगरगढ़ मार्ग पहले से ही तीन लाइन वाला कॉरिडोर है। आज, चौथी लाइन की स्वीकृति से इस मार्ग की क्षमता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
7 अक्टूबर 2025 को, केंद्र की मंत्रिमंडलीय समिति ने चार मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनमें छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र के गोंदिया-डोंगरगढ़ खंड की चौथी लाइन शामिल है। इससे भारतीय रेल नेटवर्क में लगभग 894 किमी की वृद्धि होगी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना को इस प्रकार पेश किया कि यह गोंदिया-डोंगरगढ़ खंड को और अधिक मजबूत और गतिशील रेल धुरी बनाएगा।
मुख्यमंत्री साय की प्रतिक्रिया और संदेश
- मुख्यमंत्री अरविंद कुमार साय ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह एक पीड़ादायक मांग का जवाब है।
- उन्होंने यह भी कहा कि “डबल इंजन सरकार में विकास की पटरी पर दौड़ रहा छत्तीसगढ़” — यानि केन्द्र और राज्य एक साथ काम कर रहे हैं, और अब विकास की रफ्तार बढ़ेगी।
- मीडिया रिपोर्टों में यह बताया गया कि साय सरकार इसे न सिर्फ रेल विकास का मामला मान रही है, बल्कि इस कदम को प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति से जोड़ रही है।
- स्थानीय नेतागण और विधायक भी इस निर्णय को क्षेत्रीय जनता की जीत के रूप में पेश कर रहे हैं।
- लाभ और प्रभाव
1. यात्री और माल परिवहन में सुधार
- चौथी लाइन बनने से रेल मार्ग पर भीड़ कम होगी, और ट्रेनों की समयपालन बेहतर होगी। इससे माल ढुलाई तेज होगी और यात्री सेवा अधिक विश्वसनीय बन सकेगी।
2. आर्थिक एवं औद्योगिक विकास
- छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बीच बेहतर कनेक्टिविटी से दोनों राज्यों के उद्योगों को फायदा होगा।
- रेल मार्ग से कच्चे माल, कृषि उत्पाद, औद्योगिक इनपुट्स आदि को तेजी से पहुंचाया जा सकेगा।
- क्षेत्र में नई इकाइयों, लॉजिस्टिक हब, गोदामों आदि की संभावना बढ़ेगी।
3. क्षेत्रीय केंद्रों और पर्यटन को बढ़ावा
- गोंदिया-डोंगरगढ़ मार्ग से रायपुर – राजनांदगांव जैसे स्थानों की रेल पहुँच और बेहतर होगी।
पर्यटन स्थलों जैसे नवेगांव नेशनल पार्क, हज़ारा फॉल्स, डोंगरगढ़ धारा, आदि तक पहुंच आसान होगी।
4. रोजगार सृजन
- निर्माण कार्य में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
- संबंधित सहायक उद्योगों (सामग्री आपूर्तिकर्ता, ट्रांसपोर्ट, श्रम दल) को लाभ होगा।
- दीर्घकाल में, बेहतर कनेक्टिविटी से नई आर्थिक गतिविधियाँ उत्पन्न होंगी।
5. परिवहन दक्षता और लागत बचत
- माल और यात्री दोनों की समय लागत घटेगी।
- ट्रेनों को रोका-ठहराया कम होगा, जिससे ईंधन और परिचालन खर्च में कमी आएगी।
- रेल ऑपरेशन की विश्वसनीयता और क्षमता में सुधार होगा।
चुनौतियाँ और सावधानियाँ
• निर्माण अवधि एवं निधि आवंटन
यह परियोजना 5 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य बताया गया है।
लेकिन इस दौरान भू-स्वामित्व, वन भूमि स्वीकृति, पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण जैसे विवाद खड़े हो सकते हैं।
• भूमि अधिग्रहण एवं सामाजिक असर
— नागरिकों को विस्थापन या भूमि छोड़ने की समस्या हो सकती है।
— मुआवज़ा, पुनर्वास योजनाएँ पारदर्शी और समयानुसार होनी चाहिए।
• पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संतुलन
रेल पटरियों के निर्माण से जंगल, नदियाँ, व्हाटर बॉडीज़ प्रभावित हो सकती हैं।
पर्यावरणीय मूल्यांकन (EIA) और अनुकूलन उपायों पर बल देना अनिवार्य होगा।
• तकनीकी एवं निर्माण प्रतिबद्धता
— डिजाइन, इंजीनियरिंग, निगरानी, गुणवत्ता नियंत्रण की उच्च मानक रखनी होगी।
— ठेकेदार चयन, समय पर सामग्री उपलब्धता और मानव संसाधन सुनिश्चित करना होगा।
• स्थानीय जनता और हितधारकों को जोड़ना
— ग्रामीण और प्रभावित लोग इस परियोजना से कैसे जुड़े हैं, उनकी आशंकाएं क्या हैं — उन्हें कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
— सूचना का खुला संचार और निरंतर संवाद रखना ज़रूरी होगा।
आगे की राह: सफल कार्यान्वयन के लिए सुझाव
- सूक्ष्म निरीक्षण और मॉनिटरिंग
निर्माण के प्रत्येक चरण पर निगरानी टीम हो — गुणवत्ता, समयसीमा और सुरक्षा पर विशेष ध्यान। - पारदर्शी निधि प्रबंधन
बजट आवंटन और उपयोग की सूचना सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। - समुदाय सहभागिता
क्षेत्रवासियों और प्रभावितों को शामिल करना, उनकी समस्याओं को सुनना और समाधान देना। - पर्यावरण संरक्षण उपाय
वन पुनर्स्थापन, नदियों की पारिस्थितिकी रक्षा, मिट्टी कटाव नियंत्रण — ये पहल आवश्यक होंगी। - समयबद्ध मील के पत्थर (Milestones)
6-महीने, 1 वर्ष, 2 वर्ष आदि अंक तय करना ताकि प्रगति को आकलित किया जा सके।
निष्कर्ष
गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी लाइन की स्वीकृति सिर्फ एक रेलवे परियोजना नहीं है — यह छत्तीसगढ़ एवं आसपास के क्षेत्रों के विकास का प्रतीक है। मुख्यमंत्री साय ने इसे डबल इंजन सरकार की उपलब्धि कहा, जो केंद्र और राज्य की साझी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस निर्णय से बड़े पैमाने पर यातायात सुविधा, आर्थिक सशक्तीकरण, रोजगार अवसर, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी जैसे पहलुओं में बदलाव होगा।
लेकिन सफलता इस पर निर्भर करेगी कि परियोजना को कैसे लागू किया जाए — समय पर, पारदर्शी तरीके से और प्रभावित जनता को साथ लेकर चलकर। यदि यह काम सफल होता है, तो यह छत्तीसगढ़ की विकास कहानी में एक मील का पत्थर साबित होगा।
