छत्तीसगढ़ ने पेंशन सिस्टम में खोजी 24 साल पुरानी गलती, 1685 करोड़ की वसूली से हर साल होगी 200 करोड़ की बचत
PENSION word on block concept.
रायपुर।
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के समय मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच कर्मचारियों की पेंशन हिस्सेदारी का एक स्पष्ट समझौता हुआ था। तय किया गया था कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों की अविभाजित सेवा अवधि की 73.38% पेंशन मध्यप्रदेश और 26.62% छत्तीसगढ़ देगा। लेकिन वर्षों तक यह व्यवस्था केवल कागज़ों में रह गई।
अब पहली बार डिजिटलाइजेशन के दौरान इस बड़ी वित्तीय चूक का पता चला, जिसके तहत मध्यप्रदेश ने अपने हिस्से की पेंशन राशि भेजनी ही बंद कर दी थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश को पत्र भेजा, जिसके बाद 1685 करोड़ रुपए की बकाया राशि वापस मिली।
कैसे हुई गलती?
2012 में बैंकों को पेंशन भुगतान का ज़िम्मा सौंपा गया। पेंशन संचालनालय सिर्फ पहली पेंशन देता और बाकी सीधे बैंक से ट्रांसफर होती थी। बैंकों को दोनों राज्यों के हिस्से का रिकॉर्ड बनाना था, जो नहीं किया गया। छत्तीसगढ़ सरकार पूरी पेंशन देती रही, जबकि मध्यप्रदेश का अंशदान आता ही नहीं था।
रामप्रकाश केस से समझें मामला
एक कर्मचारी रामप्रकाश ने 30 साल नौकरी की, जिसमें से 20 साल मध्यप्रदेश में सेवा दी थी। रिटायरमेंट पर ₹30,000 की पेंशन तय हुई, जिसमें ₹21,996 मध्यप्रदेश को और ₹8,004 छत्तीसगढ़ को देना था। लेकिन पूरी राशि छत्तीसगढ़ से चली गई।
डिजिटलाइजेशन से पकड़ी गई गलती
वित्त मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर 1.4 लाख पुराने PPO को स्कैन कर डिजिटाइज किया गया। 2011 से 2025 तक का बैंक डेटा पेंशन अनुपात में बांटकर AI की मदद से विश्लेषण किया गया। इस जांच से यह स्पष्ट हुआ कि मध्यप्रदेश से करीब ₹25,000 करोड़ की देनदारी बन सकती है।
अब हर महीने स्थायी बचत
अप्रैल से जून 2025 के बीच तीन महीने में ही छत्तीसगढ़ को 600 करोड़ की बचत हुई। अब हर महीने 150-200 करोड़ रुपए की स्थायी बचत होगी। वित्त मंत्री ने इसे डिजिटल प्रशासन और इच्छाशक्ति की जीत बताया।
प्रेरणा बना यह मॉडल
कोष और लेखा विभाग के संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि यह सुधार CM, वित्त मंत्री और सचिव के मार्गदर्शन से संभव हुआ। तकनीकी त्रुटि को AI, डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शी तालमेल से सुधारना एक मिसाल बन गया है।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ की वित्तीय पारदर्शिता और क्षमता का प्रमाण है, जो अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकती है।
