प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दो दिन की ब्रिटेन यात्रा पर रवाना होंगे। यह उनकी चौथी ब्रिटेन यात्रा है। इस बार वे ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के न्योते पर जा रहे हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसकी जानकारी दी।
कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मोदी की पहली ब्रिटेन यात्रा है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात ब्रिटिश सम्राट किंग चार्ल्स से भी होगी।
लंदन में पीएम मोदी और कीर स्टार्मर के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसमें भारत-UK फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA), रक्षा सहयोग, तकनीक और जलवायु जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
भारत और ब्रिटेन के बीच इस FTA को लेकर तीन साल से ज्यादा समय तक बातचीत चली है। अब जाकर यह वार्ता पूरी हुई है और समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना है।
FTA से जुड़ी मुख्य बातें:
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FTA यानी ‘मुक्त व्यापार समझौता’ से दोनों देशों के बीच सामान और सेवाओं का व्यापार आसान होगा।
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टैक्स या ड्यूटी में राहत मिलने से उत्पाद सस्ते होंगे और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
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इसका लक्ष्य अगले 5 साल में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
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भारत की टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, खिलौने, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसी इंडस्ट्रीज को UK में एक्सपोर्ट पर छूट मिलेगी।
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वहीं ब्रिटेन से आने वाले प्रोडक्ट्स जैसे स्कॉच व्हिस्की, लग्जरी कारें, फैशन आइटम्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाइन, होमवेयर भारत में सस्ते हो सकते हैं।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी इस यात्रा में पीएम मोदी के साथ हैं। FTA वार्ताओं में उनकी अहम भूमिका रही है। समझौते पर दस्तखत के बाद इसे भारत की कैबिनेट और ब्रिटेन की संसद से मंजूरी लेनी होगी, जिसमें 6 महीने से 1 साल तक का वक्त लग सकता है।
FTA के फायदे भारत के लिए:
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एक्सपोर्ट को बूस्ट मिलेगा, जिससे जॉब क्रिएशन होगा।
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2030 तक भारत का एक्सपोर्ट 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
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भारत को विकसित देशों के मार्केट तक बेहतर पहुंच मिलेगी।
ब्रिटिश स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के CEO मार्क केंट ने इसे ‘ट्रांसफॉर्मेशनल डील’ बताया है और कहा कि ये समझौता स्कॉच एक्सपोर्ट के लिए ऐतिहासिक मौका है।
भारत और यूके के बीच FTA को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी। 3.5 साल बाद अब जाकर यह समझौता अंतिम रूप में पहुंचा है। इससे पहले भारत ने UAE, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया और EFTA जैसे देशों और संगठनों के साथ भी FTA साइन किए हैं।
अब भारत यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ भी इस तरह के समझौते की दिशा में काम कर रहा है |