“रायपुर–विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे की पहाड़ियों में बन रही भारत की हाई-टेक ट्विन टनल: सुरक्षा, तकनीक और अनुशासन का अद्भुत उदाहरण”

रायपुर से विशाखापट्टनम तक बन रही 464 किलोमीटर लंबी 6-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत सरगुजा क्षेत्र के मैनपाट की बासनवाही पहाड़ियों में हाईटेक ट्विन टनल का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। हैदराबाद की एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी इस परियोजना पर कार्यरत है।
टनल की कुल लंबाई 5.80 किलोमीटर होगी, जिसमें से अब तक 3.6 किलोमीटर की खुदाई पूरी हो चुकी है। आने-जाने के लिए दो अलग-अलग टनल बनाई जा रही हैं। अगस्त 2025 तक एक टनल की खुदाई पूरी होने की संभावना है, जबकि दूसरी टनल जून 2026 तक बनकर तैयार होगी। जनवरी 2027 में दोनों टनल आम जनता के लिए खोल दी जाएंगी।
टनल की विशेषताएं:
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चौड़ाई: प्रत्येक टनल की चौड़ाई 15 मीटर होगी, जिसमें 11.5 मीटर का तीन लेन कैरेजवे शामिल है।
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ऊंचाई: टनल की ऊंचाई 3.5 मीटर रखी गई है ताकि भारी वाहन भी सहज रूप से निकल सकें।
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तकनीकी खुदाई: प्रतिदिन लगभग 6 मीटर ब्लॉक की खुदाई की जाती है, जिसमें 300 किलो विस्फोटक का उपयोग होता है। इसके बाद सैंड रॉक मशीन से मलबा बाहर निकाला जाता है।
हाईटेक सुरक्षा और निगरानी सिस्टम:
टनल निर्माण के दौरान सुरक्षा को सर्वोपरि रखा गया है। हर 15 मीटर की दूरी पर टारगेट मशीनें लगाई गई हैं, जो भूमि में सूक्ष्मतम हलचल को भी रिकॉर्ड करती हैं।
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रॉक बोल्ट और कांक्रीट की मजबूती: खुदाई के साथ-साथ रॉक बोल्ट और गैंट्री क्रेन से संरचना को मजबूती दी जा रही है।
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कर्मचारियों की बायोमेट्रिक निगरानी: प्रतिदिन कार्य स्थल पर सिर्फ उन्हीं इंजीनियरों और तकनीशियनों को अनुमति दी जाती है, जिन्हें कंपनी ने अधिकृत किया है।
बायोमेट्रिक प्रणाली से पुष्टि की जाती है कि जो व्यक्ति टनल में गया, वही सुरक्षित बाहर आया हो। यह प्रणाली बाहरी घुसपैठ और दुर्घटनाओं को रोकने में मददगार है।
गैस निकासी और तापमान नियंत्रण:
टनल की खुदाई के दौरान प्राकृतिक गैसों के रिसाव की संभावना रहती है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं। इसके लिए विशेष डक्ट सिस्टम तैयार किया गया है जो गैसों को बाहर निकालने के साथ-साथ टनल के अंदर का तापमान भी नियंत्रित करता है।
कड़ी सुरक्षा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में संरक्षित निर्माण
यह परियोजना नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है, इसीलिए सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत सख्त है। यहां तक कि मीडिया टीमों को भी टनल के एक किलोमीटर पहले ही रोक लिया जाता है और ऊपर से अनुमोदन मिलने के बाद ही उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति मिलती है।
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सभी आगंतुकों की पहचान सत्यापन, सुरक्षा जैकेट और हेलमेट पहनाकर
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मोबाइल फोन अंदर ले जाने की अनुमति नहीं
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विजिटिंग चिप कार्ड द्वारा एंट्री
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बायोमेट्रिक और रजिस्टर में एंट्री दर्ज कर ही अंदर प्रवेश
यह पूरी प्रक्रिया न केवल उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रोटोकॉल को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अब तकनीकी और अनुशासन के नए मानकों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच यह एक्सप्रेसवे भविष्य में आवागमन की तस्वीर बदल देगा।