सुकमा के पूवर्ती गांव में इंसानियत की गूंज: CRPF जवानों ने निभाया भाई का फर्ज, नक्सली गढ़ में बजा भाईचारे का ढोल

सुकमा, 25 जून 2025:- कभी गोलियों की आवाजों से दहशत में रहने वाला सुकमा का पूवर्ती गांव अब भाईचारे और भरोसे की मिसाल बन गया है। बुधवार को इस गांव में एक आम बेटी की असाधारण विदाई ने हर किसी का दिल छू लिया।

गांव की एक बेटी की शादी के मौके पर, विदाई के समय ग्रामीणों की टोली दुल्हन को लेकर जंगलों के रास्ते उस CRPF के 150वीं बटालियन कैंप तक पहुंची, जहां अब सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, भावनाओं का रिश्ता भी बना हुआ है।

जवानों ने निभाया भाई का फर्ज

सीआरपीएफ कैंप में तैनात जवानों और अधिकारियों ने दुल्हन को अपनी बहन मानकर ‘नेग’ दिया, आशीर्वाद दिया और उसे भाई की तरह भावुक होकर विदा किया। इस पल में वर्दीधारी जवान सिर्फ रक्षक नहीं, रिश्तेदार बन गए।

गांव और वर्दी ने साथ में थिरका बस्तर

विदाई में गांव के लोग ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते कैंप पहुंचे। वर्दी और वासंती रंगों का संगम बदलते बस्तर की सबसे सुंदर तस्वीर बना। यह दृश्य सिर्फ एक विदाई नहीं, बल्कि हिंसा से भरोसे की यात्रा का प्रतीक बन गया।

नक्सल गढ़ से भाईचारे की मिसाल तक

यह वही पूवर्ती गांव है जिसे कभी नक्सली कमांडर हिड़मा का गढ़ कहा जाता था। आज इस गांव में CRPF के जवान सिर्फ बंदूक नहीं, भरोसा, सुरक्षा और अपनापन भी दे रहे हैं

एक नई सुबह की शुरुआत

इस छोटी सी शादी में देश ने वो दृश्य देखा, जिसे न कोई कानून बना सकता है, न कोई ऑपरेशन जीत सकता है।

“दिल से दिल जुड़े, भाईचारा नाचा और जंगल में इंसानियत मुस्कराई।”