छत्तीसगढ़ में बदली लोन वसूली की तस्वीर: मसल पावर की जगह प्रोफेशनल एजेंसियों को जिम्मा, रिकवरी बनी नया स्टार्टअप ट्रेंड
रायपुर। कुछ साल पहले तक लोन वसूली का मतलब था—गाड़ी छीन लेना, घर के बाहर खड़े होकर धमकी देना, और कई बार मारपीट करना। लेकिन अब ये तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। सरकारी हो या निजी बैंक—अब लोन वसूली का सौ फीसदी जिम्मा निजी एजेंसियों को सौंप दिया गया है।
अब रिकवरी में मसल नहीं, मैनजमेंट स्किल्स
एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, आईडीबीआई जैसे बैंक ही नहीं, बल्कि PhonePe, भारत पे, पेटीएम और टाटा कैपिटल जैसे डिजिटल बैंकिंग संस्थान भी लोन रिकवरी का काम एजेंसियों से करवा रहे हैं। अकेले रायपुर में 30 से अधिक एजेंसियां सक्रिय हैं और पूरे प्रदेश में यह संख्या 950 से ज्यादा है। हर साल ये एजेंसियां 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिकवरी कर रही हैं।
क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की एंट्री
अब एजेंसियों में एमबीए, इंजीनियरिंग और फाइनेंस डिग्री होल्डर्स को रखा जा रहा है। बिना पढ़े-लिखे या आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों को नियुक्त नहीं किया जाता। रिकवरी एजेंट बनने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग से प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट अनिवार्य है। साथ ही, पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूरी है।
बदली कार्यशैली, घटे विवाद
बदली हुई प्रोफेशनल प्रक्रिया का असर यह हुआ कि पिछले दो सालों में रायपुर में लोन वसूली को लेकर 10 से भी कम एफआईआर दर्ज हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत अब कोई भी एजेंट न तो गाड़ी छीन सकता है और न ही बिना सहमति के किसी को घर खाली कराने का अधिकार रखता है।
नियमित समय, शालीन व्यवहार
रिकवरी एजेंट केवल सुबह 8 से शाम 7 बजे तक ही ग्राहकों से संपर्क कर सकते हैं। अभद्र भाषा और धमकी देना सख्त मना है। ग्राहकों की सहमति के बिना उनके ऑफिस नहीं जाया जा सकता। किसी भी प्रकार की शिकायत की स्थिति में ग्राहक संबंधित बैंक या आरबीआई से शिकायत कर सकते हैं।
स्टार्टअप के तौर पर उभरती रिकवरी एजेंसियां
सैकड़ों युवा इस क्षेत्र को स्टार्टअप के रूप में अपना रहे हैं। एक एजेंसी में 50 से 100 तक स्टाफ होते हैं, जिनमें कॉल सेंटर से लेकर मैनेजर तक की नियुक्ति होती है। शुरुआती सैलरी 15 हजार से शुरू होती है और बड़े पदों पर 1 लाख रुपए तक का पैकेज मिलता है।
बैंक क्यों कर रहे एजेंसी पर भरोसा?
खर्च में कमी: बैंक खुद वसूली करें तो सैलरी, यात्रा और कानूनी खर्च बढ़ते हैं, जबकि एजेंसियों को प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाता है।
फोकस: बैंकिंग सेवाओं के साथ लोन वसूली करना कठिन था, इसलिए एजेंसियों को सौंपा गया।
प्रोफेशनल अप्रोच: एजेंसियों के पास अनुभवी स्टाफ और रिकवरी के लिए कानूनी व नैतिक तरीकों का बेहतर ज्ञान होता है।
वसूली में जबरदस्त सुधार
छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट (अप्रैल 2024–मार्च 2025) के अनुसार, बैंकों का डूबत लोन अब 4 प्रतिशत से भी कम रह गया है, जबकि पहले यह आंकड़ा 15 से 20 प्रतिशत तक पहुंच गया था। कुछ संस्थाओं का NPA 30 प्रतिशत तक हो गया था, जिससे वे बंद होने की कगार पर आ गए थे। निजी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपने के बाद यह स्थिति सुधरी है।
