“नक्सलवाद की उलटी गिनती शुरू: सुकमा का बड़ेसट्टी गांव हुआ नक्सल मुक्त, आत्मसमर्पण की लहर तेज

भारत सरकार और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने के मिशन पर काम कर रही है, और इस दिशा में पहली बड़ी सफलता हाथ लगी है। सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव अब पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित किया गया है।
शुक्रवार को इस गांव के सक्रिय 11 अंतिम नक्सलियों ने सरकार के समक्ष हथियार डाल दिए, वहीं जिले में कुल 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी बताते हुए छिपे नक्सलियों से तुरंत सरेंडर करने की अपील की है।
वार्ता की कोशिशें और युद्धविराम की अपील
लगातार साथियों की मौत और आत्मसमर्पण से घबराए नक्सलियों ने सरकार को पत्र जारी कर एक महीने के युद्धविराम की अपील की है ताकि शांति वार्ता के लिए माहौल बन सके। यह पत्र उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश के नाम से जारी किया गया है। पत्र में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा को त्वरित प्रतिक्रिया और सुरक्षा गारंटी के लिए धन्यवाद दिया गया है।
बीजापुर में 22 नक्सली गिरफ्तार
बीजापुर में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए अभियान में 22 कुख्यात नक्सली अत्याधुनिक हथियारों और विस्फोटकों के साथ पकड़े गए। गृह मंत्री अमित शाह ने ‘X’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि सुकमा में 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति में भरोसा जताया है।
नई ग्रुप सरेंडर पॉलिसी का लाभ
सरकार ने नई ग्रुप सरेंडर नीति के तहत प्रावधान किया है कि यदि किसी नक्सली संगठन की 80% सक्रिय इकाई सामूहिक आत्मसमर्पण करती है, तो उन्हें डबल इनाम दिया जाएगा।
साथ ही, जिन ग्राम पंचायत क्षेत्रों में सभी नक्सली और मिलिशिया सदस्य आत्मसमर्पण करेंगे और क्षेत्र नक्सल मुक्त घोषित होगा, वहां ₹1 करोड़ के विकास कार्य स्वीकृत किए जाएंगे।
पुनर्वास और सहायता योजनाएं
गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को ₹10,000 की सहायता राशि दी जाएगी, साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर भी मिलेगा। बल्क सरेंडर करने वालों को दो गुना सहायता मिलेगी।
शहीद जवानों के परिवारों की समस्याएं हर दूसरे बुधवार IG रेंज में सुनी जाएंगी और “वीर बलिदान योजना” के तहत शहीदों की मूर्तियां लगाई जाएंगी।
120 दिन में पुनर्वास
नई नक्सल आत्मसमर्पण नीति 2025 के तहत नक्सलियों के जीवन को केवल 120 दिनों में बदलने की योजना है। ट्रांजिट कैंप या पुनर्वास केंद्र में उन्हें रखा जाएगा, जहां वे प्रशिक्षण लेकर शिक्षा और कौशल विकास के जरिए मुख्यधारा में लौट सकेंगे।
3 साल तक मिलेगा मासिक मानदेय
सरकार आत्मसमर्पण करने वालों को 3 वर्षों तक ₹10,000 प्रति माह मानदेय देगी। उन्हें प्लॉट, खेती की ज़मीन, और स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाएगा। यह सभी प्रक्रियाएं 120 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाएंगी ताकि वे समाज में सम्मानपूर्वक जीवन शुरू कर सकें।
यह मिशन अब न केवल सफलताओं की ओर बढ़ रहा है, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति और विकास की नई शुरुआत का संकेत भी है।