परीक्षा और दबाव के बीच टूटी सांसें – सरगुजा में फिर एक मासूम ने की आत्महत्या

सरगुजा जिले के सीतापुर क्षेत्र के ग्राम कसाईडीह में एक 16 वर्षीय छात्र ने आत्महत्या कर ली। कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले इस छात्र ने सिर्फ इसलिए फांसी लगा ली क्योंकि उसके पिता ने मोबाइल देखने से मना कर, परीक्षा देने को कहा था। यह घटना न केवल एक परिवार का गम है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा सवाल भी है।

बताया गया कि छात्र पढ़ाई में कमजोर था और पिछले साल भी इसी कक्षा में फेल हो चुका था। वह परीक्षा देने के नाम पर घर से निकलता, लेकिन कक्षा में नहीं जाता था। मंगलवार को जब पिता ने मोबाइल छीनकर डांटा, तो वह नाराज़ होकर घर की बकरियों को चराने जंगल चला गया। लेकिन वहां जामुन के पेड़ से बकरी बांधने वाली रस्सी से फांसी लगाकर उसने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

शाम को जब बकरियाँ लौट आईं और छात्र घर नहीं पहुंचा, तो परिजन उसे ढूंढते जंगल पहुंचे, जहाँ पिता ने बेटे का शव पेड़ से लटका हुआ देखा। इस दृश्य ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।

यह पहली घटना नहीं है। पिछले एक महीने में परीक्षा के तनाव और खराब परिणाम से परेशान होकर तीन नाबालिग बच्चों ने आत्महत्या की है। एक दिन पहले ही अंबिकापुर के गांधीनगर थाना क्षेत्र में पीजीडीसीए का 25 वर्षीय छात्र भी फांसी लगाकर जान दे चुका है। उसने एक सुसाइड नोट में लिखा – “मुझे पता है कि मैं जो कर रहा हूं, वह गलत है… लेकिन मैं बचपन से दुख झेल रहा हूं।”

एक्सपर्ट की राय: बच्चों की भावनाओं को समझें, उनका दोस्त बनें

पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की प्रो. दीप्ति विश्वास का कहना है कि आज के समय में छोटे बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है। इंटरनेट और मोबाइल के कारण बच्चों को न केवल वांछित बल्कि अवांछित जानकारी भी बहुत जल्दी मिल जाती है। ऐसे में अभिभावकों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है – उन्हें अपने बच्चों से संवाद बनाए रखना चाहिए। डांट की बजाय संवाद, और डर की बजाय भरोसे का रिश्ता ज़रूरी है।

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