हिंदू स्वाभिमान जागरण एवं सामाजिक समरसता हेतु की गई बैठक का आयोजन, RSS प्रांत प्रचारक रहे उपस्थित…

रायपुर , 4 मार्च 2023 : हिंदू स्वाभिमान जागरण एवं सामाजिक समरसता हेतु “संत यात्रा” की उपलब्धि क्रियान्वयन व रूपरेखा के संदर्भ में आज 4 मार्च को सुबह 11 बजे से राम मंदिर वीआईपी रोड़ रायपुर में बैठक आयोजित की गई। बैठक में RSS प्रांत प्रचारक श्री प्रेम शंकर जी, श्री राम मंदिर के प्रमुख पुजारी श्री हनुमंत जी, विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी, मंदिरों के पुजारी, कर्मकांडी पंडित एवं अन्य कई धर्मनिष्ठ उपस्थित रहे ।
प्रेम शंकर जी ने सभी सदस्यों से कुशलक्षेम पूछकर यात्रा के उद्देश्यों एवं तैयारियों के साथ-साथ, यात्रा के दौरान संतों को मिल रहे आदर सत्कार एवं विराट समर्थन से अवगत कराया।
श्री प्रेम शंकर जी ने राष्ट्र की अवधारणा के महत्व को रेखांकित किया जिसमें परंपरा ,संस्कृति ,व्यवहार रहन-सहन के साथ धर्म को इस पृथ्वी पर उपलब्ध वनस्पति, जंगल, नदी, पहाड़ के साथ पशु-पक्षी एवं पारिवारिक व्यवस्था के महत्व को उकेरा। उन्होंने बताया की दो हजार वर्षों से भारत भूमि पर बसने वाले हिंदुत्व को रौंदने का प्रयास किया जाता रहा है जिसमें आक्रांताओं द्वारा हमारे मंदिर, मठ, गुरुकुल को नष्ट कर भारत के अध्यात्म व संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के सारे प्रयास किए गए, परंतु आज भी समाज में वेद, पुराण, उपनिषद से लेकर हमारे पूर्वजों की मान्यताएं आज भी जीवित है, जिसका कारण भारतीयों की सबसे उत्तम व अंतिम व्यवस्था “परिवार” ही है।
आक्रांताओं द्वारा परिवार को तोड़ना संभव नहीं हो पाने के कारण ही मुगल व अंग्रेज भारत को पूर्ण रूप से जीत नहीं पाए। उन्होंने तलवार के दम पर हमारी सम्पदा एवं भूमि तो हथिया लिया, परंतु हमारा धर्म व संस्कृति की सबसे प्रबल इकाई “परिवार” को प्रभावित नहीं कर पाए।
वामपंथियों की सबसे बड़ी दुखती रग हमारे देश के परिवार ही थे, जिसको तोड़ने का प्रयास उन्होंने फिल्मों, पत्र-पत्रिकाओं एवं धारावाहिको के माध्यम से भरपूर प्रयास किया, परन्तु पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सके ।आज भी इतने आधुनिक पाश्चात्य परिवेश के बावजूद हर परिवार में कोई एक व्यक्ति ऐसा होता ही है जो पूर्वजों की हजारों साल पुरानी संस्कृति, संस्कार, परंपरा को बताने एवं उसका निर्वहन करने-कराने का  प्रयास करता ही है, जिसके कारण हमारी राष्ट्रीयता जीवंत रूप से दिखाई देती है।
किसी भी संस्कार में पाश्चात्यता की कितनी भी आधुनिकता रहे परंतु वनस्पति, मिट्टी से तिलक, मौली धागे की महत्ता को समाप्त करना संभव नहीं हो पाया है जो हमारे देश में परिवारिक पृष्ठभूमि के कारण ही संभव है।
परिवार ही राष्ट्र की सबसे अनमोल व अंतिम इकाई है उसके द्वारा ही राष्ट्र की संकल्पना को शक्ति मिलेगी।
प्रेम शंकर जी की यह अनुपम दृष्टि तथा चर्चा का लाभ पाठकों तक पहुंचाने का सौभाग्य मुझे श्री राम जी के मन्दिर के गर्भ गृह के नीचे स्थित प्रांगण में प्रसाद स्वरूप मिला जिसे इस लेख के माध्यम से आप सब तक पहुंचाने का एक गिलहरी प्रयास है।

 

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