68 हजार के खाते में 16 करोड़ फंसा, राशि वापस करने लगाया शिविर
रायपुर/जांजगीर।
छत्तीसगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक के खाते में मात्र 68 हजार रुपये की ट्रांजैक्शन लिमिट वाले साधारण बचत खाते में अचानक 16 करोड़ रुपये फंस गए। रकम खाते में आई कैसे, किसके अकाउंट से ट्रांसफर हुई और इसकी वजह क्या है—इन सभी सवालों के बीच बैंक और प्रशासन ने तत्काल विशेष शिविर लगाकर राशि वापस कराने की प्रक्रिया शुरू की।
मामला सामने आते ही स्थानीय क्षेत्र में हड़कंप मच गया। बैंक अधिकारियों, पुलिस, साइबर टीम और जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से जांच शुरू कर दी है। युवक के खाते में ब्लॉक हुई यह राशि न केवल तकनीकी त्रुटि बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक भी मानी जा रही है।
कैसे आया 16 करोड़ रुपये का मामला सामने?
सूत्रों के अनुसार, युवक शनिवार सुबह ATM मिनी स्टेटमेंट निकालने गया था, जहाँ उसे खाते में ₹16,00,00,000+ की एंट्री दिखी। शुरू में उसे लगा कि मशीन या तकनीकी त्रुटि है। लेकिन बैंक जाकर पासबुक छपवाने पर भी यही राशि दिखाई दी।
युवक ने घबराकर तुरंत बैंक मैनेजर को इसकी सूचना दी। बैंक ने जब सिस्टम चेक किया तो पता चला कि किसी अज्ञात स्रोत से भारी भरकम राशि खाते में ‘फंस गई’ है। यह राशि न तो निकाली जा सकती थी और न ही उपयोग की जा सकती थी।
बैंक में मचा हड़कंप, तत्काल ब्लॉक किया खाता
16 करोड़ जैसी बड़ी राशि दिखने से बैंक अधिकारी सतर्क हो गए। उन्होंने:
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खाते को अस्थायी रूप से ब्लॉक किया
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स्वतः ट्रांजैक्शन रोक दिए
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सर्वर लॉग और UTR नंबर खंगाले
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मुख्य शाखा और रीजनल ऑफिस को रिपोर्ट भेजी
बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीकी इंट्री, गलत रूटिंग या गलत खाते में ट्रांसफर का मामला हो सकता है। साइबर टीम ने भी जांच शुरू कर दी है कि कहीं यह साइबर फ्रॉड का हिस्सा तो नहीं।
राशि वापस कराने के लिए विशेष शिविर
जैसे ही मामला प्रशासन तक पहुँचा, जिला प्रशासन ने बैंक के साथ मिलकर विशेष शिविर (Special Refund Camp) आयोजित किया। शिविर का उद्देश्य था:
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गलत आई राशि को सुरक्षित रूप से मूल खाते में वापस भेजना
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युवक को किसी कानूनी उलझन से बचाना
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बैंक प्रक्रिया को साफ़-सुथरा पूरा करना
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किसी भी तरह की धोखाधड़ी की संभावना खत्म करना
शिविर में बैंक अधिकारी, तकनीकी स्टाफ और साइबर टीम मौजूद रही। पूरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ हुई, ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
युवक ने कहा— “मेरे तो होश उड़ गए थे”
युवक ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“मैं मजदूरी करता हूँ, मेरे खाते में 5-10 हजार से ज्यादा कभी नहीं आते। जब 16 करोड़ दिखा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैंने तुरंत बैंक को बताया कि यह पैसा मेरा नहीं है।”
उसने बताया कि वह डर गया था कि कहीं पुलिस पकड़ न ले। उसने कहा कि:
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उसने किसी को OTP नहीं बताया
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किसी लिंक पर क्लिक नहीं किया
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कोई लोन या बड़ी ट्रांजैक्शन भी नहीं की
यह बयान साइबर जांच के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रशासन ने दी चेतावनी— गलत राशि मिले तो तुरंत सूचना दें
जिला प्रशासन ने कहा है कि बड़े ऑनलाइन लेनदेन और बैंक सर्वर अपडेट के दौरान तकनीकी त्रुटियाँ कभी-कभी हो सकती हैं। किसी भी व्यक्ति के खाते में यदि अचानक बड़ी राशि आती है तो उसे:
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बैंक को तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए
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राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए
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किसी को OTP या बैंक जानकारी नहीं देनी चाहिए
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बैंक की सूचना के बिना ट्रांजैक्शन नहीं करना चाहिए
अन्यथा यह धोखाधड़ी (Fraud) और अवैध धन उपयोग (Money Laundering) की श्रेणी में आ सकता है।
तकनीकी गड़बड़ी या कोई संदिग्ध लेनदेन?
बैंक और साइबर टीम दो कोणों से जांच कर रही है:
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तकनीकी गड़बड़ी (Technical Glitch)
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सर्वर सिंक एरर
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गलत UTR अटैचमेंट
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बैंक अपडेट के दौरान एंट्री त्रुटि
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संदिग्ध लेनदेन (Suspicious Routing)
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किसी स्कैम या फ्रॉड चेन का हिस्सा
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फर्जी ट्रांसफर ताकि राशि ट्रेल छिपाई जाए
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मनी लॉन्ड्रिंग का प्रयास
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जांच पूरी होने तक बैंक ने मामला गोपनीय रखा है।
विशेषज्ञों का कहना
वित्त विशेषज्ञों के अनुसार:
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इतने बड़े अमाउंट का लो-केटेगरी सेविंग्स अकाउंट में पहुंचना असामान्य है
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IT और बैंकिंग सर्वर में एंट्री मिसमैच की संभावना रहती है
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यदि यह साइबर क्राइम से जुड़ा है तो इसकी जांच गहरी होगी
न्यायिक विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को गलती से बड़ी राशि मिलती है और वह उसे खर्च कर लेता है, तो उसके खिलाफ फ़ौजदारी मामला दर्ज हो सकता है।
स्थानीय लोगों में चर्चा
घटना सोशल मीडिया और इलाके में बड़ी चर्चा का विषय बन गई है।
लोग कह रहे हैं:
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“साधारण मजदूर के खाते में 16 करोड़! यह कैसे संभव है?”
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“बैंक की सुरक्षा कितनी कमजोर है?”
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“साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं।”
लोगों में भविष्य को लेकर भय और सतर्कता दोनों दिख रही है।
निष्कर्ष
68 हजार रुपये की ट्रांजैक्शन लिमिट वाले खाते में 16 करोड़ रुपये फंसना एक बड़ी तकनीकी चूक है या फिर संदिग्ध लेनदेन—यह जांच के बाद ही साफ होगा।
फिलहाल राशि तभी पूरी तरह बाहर निकाली जा रही है जब पुष्टि हो कि धन का स्रोत वैध है और गलती कैसे हुई।
बैंक और प्रशासन ने मिलकर शिविर लगाकर युवक को राहत दी है, जबकि साइबर टीम मामले की तह तक जाने में जुटी है।
